अष्टांग योग क्यों है सबसे खास, विधि और फायदे जानिए। About Ashtanga Yog in Hindi
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अष्टांग योग क्यों है सबसे खास, विधि और फायदे जानिए। About Ashtanga Yog in Hindi

About Ashtanga Yoga in Hindi. योग एक ऐसा विषय है जिस पर आज पूरा विश्व बात कर रहा है। योग भी कई तरह का होता है। इन्हीं में से सबसे उत्तम योग माना जाता है अष्टांग योग। अष्टांग योग को बहुत समय पहले महर्षि पतंजलि द्वारा लिखा गया था। यह केवल शारीरिक रूप से आपको स्वस्थ नहीं रखता। बल्कि यह आपको मानसिक तल पर भी स्वस्थ करता है। साथ ही अष्टांग योग को  शरीर, मन और परमात्मा की प्राप्ति का एक रास्ता भी माना जाता है। आज हम आपको अष्टांग योग के फायदे, नुकसान और अष्टांग योग करने की विधि के बारे में बताएंगे। अगर आप अष्टांग योग के नियम सुत्र या इसे करने के विधि या फिर अष्टांग योग से जुड़ी हुई किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख पर अंत तक बने रहे।

क्या है अष्टांग योग – What is Ashtanga Yoga in Hindi क्या है अष्टांग योग - What is Ashtanga Yoga in Hindi 

अष्टांग योग में अष्ट का अर्थ होता है आठ और अंग यानी भाग। अष्टांग योग महज शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि एक कर्म साधना है। ऐसा कहा जाता है कि अष्टांग योग के जरिए व्यक्ति जिंदगी का सार जान लेता है। अष्टांग योग के अंदर कुल 8 सूत्र होते हैं। इसके हर सूत्र में योग के जरिए शरीर और आत्मा की शुद्धि के अलावा मन को शांत करने का प्रयास किया जाता है। आपको बता दें कि अष्टांग योग की रचना महर्षि पतंजलि ने की थी। ऐसा कहा जाता है कि जिस तरह गणित के सवालों को सुलझाने के लिए सूत्रों की जरूरत होती है। उसी तरह जिंदगी के सवालों को सुलझाने के लिए अष्टांग योग जरूरी होता है। आइए जानते हैं अष्टांग योग के बारे में। 

अष्टांग योग के सूत्र और विधि – Step of Ashtanga Yog in Hindiअष्टांग योग के सूत्र और विधि - Step of Ashtanga Yog in Hindi

महर्षि पतंजलि के मुताबिक अष्टांग योग कर्म योग से समाधि तक जाता है। यूं कहें कि अष्टांग योग की कुल आठ शाखाएं है। जिनमें से एक शाखा शारीरिक योग या आसन की है। वहीं दूसरी शाखा प्राणायाम है। इसी तरह हर शाखा का अपना ही महत्व और कार्य है। कुल मिलाकर जब कोई व्यक्ति इन आठ शाखाओं को सही प्रकार निभाता है तो वह मुक्ति की ओर बढ़ जाता है। 

Main points

यम  या नैतिकता

अष्टांग योग के अकेले इस सूत्र या शाखा में करीब पांच मुख्य बिंदु हैं जिन पर व्यक्ति को काम करना होता है। यह बिंदु कुछ इस प्रकार हैं। 

अहिंसा – अहिंसा केवल किसी व्यक्ति के प्रति नहीं। बल्कि सृष्टि में मौजूद हर चीज के प्रति प्रेम सद्भाव रखना अहिंसा है।

सत्य – सत्य को लेकर कई अक्सर कई धारणाएं हैं। लेकिन सत्य है केवल सत्य है। साफ शब्दों में समझे तो सत्य वह है जिसे कभी बदला ना जा सके। कुल मिलाकर व्यक्ति को हर स्थिति में बाहरी और भीतरी सत्य का ज्ञान होना चाहिए। 

अस्तेय – इसका अर्थ है किसी तरह की चोरी या लालच को पूरी तरह से मन से बाहर कर देना।

ब्रह्मचर्य – ब्रह्मचर्य को किसी आग की तरह देखा जाता है। ब्रह्मचर्य के दौरान व्यक्ति अपने शारीरिक सुखों पर जीत हासिल कर लेता है। इसके बाद उसे किसी तरह के शारीरिक सुख की ना तो इच्छा होती है और ना ही मन।

अपरिग्रह – इसका अर्थ होता है कि केवल अपनी जरूरतों को समझना और बाकी हर ऐशो आराम की चीजों का त्याग कर देना। इसमें व्यक्ति को दान को भी अस्वीकार करना होता है। ना तो व्यक्ति को धन का लालच रहता है और ना ही संपत्ति जोड़ने की चिंता।

नियम 

नियम शाखा को भी 5 बिंदुओं पर बांटा गया है। इस दौरान व्यक्ति को इन 5 बिंदुओं पर काम करना होता है।

शौच – शौच का अर्थ केवल मल से नहीं है। बल्कि मन के अंदर मौजूद कड़वाहट और ईश्या से भी है। इसमें व्यक्ति को अपनी अंतरात्मा को पूरी तरह साफ करना होता है। इसमें सही खान पान, नहाना धोना भी शामिल होता है।

संतोष – आमतौर पर व्यक्ति अपने काम की कीमत अक्सर ज्यादा चाहता है। ऐसे में व्यक्ति को ईश्वर की दया से जो भी मिला हो उसमें संतुष्ट रहना होता है।

तप – इसमें अपने शारीरिक सुखों की फिक्र ना करते हुए मन को साधना ही तप है।

स्वाध्याय – इसमें व्यक्ति को अपने भीतर विचारों को त्याग कर ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाना, और ज्ञान को प्राप्त करना शामिल है। 

ईश्वर प्रणिधान – पूरी तरह अपने आपको ईश्वर को सौंप देना ही ईश्वर प्रणिधान है। 

आसन

यह वह योगासन नहीं है जिसमें आपको किसी तरह की क्रिया करनी होती है। इस आसन में केवल आपको बिना हिले डुले बैठना होता है। बहुत से योग गुरू इस आसन को स्थिर सुखमय आसन भी कहते हैं। नियमित रूप से इस आसन में बैठने से आपका मन शांत होने लगता है। साथ ही यह अष्टांग योग के दूसरे नियम में शामिल स्वाध्याय को और ईश्वर प्रणिधान को बेहतर तरीके से समझने की क्षमता देता है।

प्राणायाम 

प्राणायाम के बारे में आपने पहले भी सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्राणायाम भी अष्टांग योग का ही एक हिस्सा है। प्राणायाम का अर्थ होता है, सांस लेने की प्रक्रिया को बेहतर करना। इस आसन के दौरान व्यक्ति का पूरा ध्यान सांस लेने की प्रक्रिया पर ही होता है। प्राणायाम में मुख्य रूप से भस्त्रिका प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम, अनुलोम – विलोम प्राणायाम शामिल हैं। यह सभी आसन आपकी ऊर्जा को बेहतर तरह से विकसित करते हैं। साथ ही यह आपके फेफड़ों की भी क्षमता को बेहतर करते हैं। 

प्रत्याहार 

अष्टांग योग का यह हिस्सा हर व्यक्ति की जिंदगी के लिए बेहद जरूरी है। प्रत्याहार के जरिए व्यक्ति को अपनी इंद्रियों के द्वारा बेकार में खर्च की गई ऊर्जा को बचाए रखना या नियंत्रित करना होता है। हम सभी लोग अक्सर बहुत कुछ सुनते हैं,बोलते हैं, देखतें हैं और महसूस करते हैं। इन सभी कार्यों में हमारा शरीर काफी ऊर्जा खर्च कर देता है। लेकिन प्रत्याहार के जरिए इन्हीं चीजों पर नियंत्रित किया जाता है। इससे हमारे शरीर की ऊर्जा गैर जरूरी कामों में नष्ट नहीं होती। 

धारणा 

धारणा यह अष्टांग योग का सबसे अहम हिस्सा भी है। प्रत्याहार के बाद व्यक्ति जब अपनी  ऊर्जा को बचाना सीख लेता है। इसके बाद यह बात पूरी तरह से उस व्यक्ति पर ही निर्भर करती है कि उसे अपनी ऊर्जा कहां खर्च करनी है और कहां नहीं। इसके अलावा धारणा की बदौलत ही व्यक्ति खुद को संतुष्ट रखता है और मान लेता है कि जो है वह सही है और जो होगा वह भी सही ही होगा। धारणा में व्यक्ति अपने विचारों और ऊर्जा का सदुपयोग करता है।

ध्यान 

जब कोई व्यक्ति अष्टांग योग के 6 अंगों को पूरी तरह जीवन में उतार लेता है, तो उसके लिए ध्यान में रहना हमेशा के लिए आसान हो जाता है। कुल मिलाकर अष्टांग योग के इन 6 अंगों में निपुण होने के बाद आपको ध्यान लगाने की आवश्यकता नहीं होती। बल्कि आप पूरे समय ध्यान में ही रहने लगते हैं। 

समाधि

यह योग का सबसे अंतिम चरण है। जब कोई व्यक्ति अष्टांग योग के सारे अंगों में निपुणता हासिल कर लेता है तो उसके मन में किसी तरह का भेदभाव और ईशा पूरी तरह खत्म हो जाती है। इसके बाद व्यक्ति पूरी तरह ईश्वर में ही लीन हो जाता है। 

अष्टांग योग के फायदे – Benefits of Ashtanga Yog In Hindi
अष्टांग योग के फायदे - Benefits of Ashtanga Yog In Hindi

दोस्तों अष्टांग योग महज एक शारीरिक व्यायाम नहीं है। बल्कि यह अपनी सारी समस्याओं और जीवन की दुविधाओं से निकलने का एक पक्का रास्ता है। ऐसे में अष्टांग योग को जिंदगी में उतारने के एक दो नहीं बल्कि ढेरों लाभ होते हैं। आइए जानते हैं कि व्यक्ति को अष्टांग योग करने के फायदे क्या होते हैं।

अष्टांग योग के जरिए रोगों से बचाव 

हम सभी जानते हैं कि एक स्वस्थ शरीर के लिए एक्सरसाइज या योग बेहद जरूरी है। ऐसे में अष्टांग योग के माध्यम से आपके शरीर के सभी ऑर्गन सही प्रकार कार्य करने लगते हैं। क्योंकि इस दौरान आप केवल एक या दो घंटे का कोई ढोंग नहीं करते। बल्कि आप एक ऐसे प्रक्रिया में होते हैं। जहां आप पूरी तरह अपने जीवन को बदलने पर काम कर रहे होते हैं। सही विचारों से लेकर सही भोजन और योग के जरिए आप स्वस्थ रहते हैं और बीमारियों से भी बचे रहते हैं। लेकिन अगर आपको कोई बीमारी पहले से होती है, तो वह भी नियंत्रित रहती है। 

शारीरिक स्वास्थ्य का बेहतर होना

अगर आप अष्टांग योग के सभी अंगों को सही प्रकार निभाते हैं, तो आप अपनी जिंदगी में एक बेहतरीन दिशा में बढ़ रहे होते हैं। इस दौरान योग के जरिए आप मोटापे की समस्या से भी बचे रहते हैं। साथ ही आपका शरीर भी सुडौल हो जाता है। इससे आप अपने शारीरिक बल को भी लंबे समय तक बनाकर रख पाते हैं। वहीं आपकी त्वचा और बालों पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि अष्टांग योग के फायदे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी होते हैं। 

अष्टांग योग के मस्तिष्क पर फायदे

दोस्तों जैसे कि हमने आपको बताया भी था, कि अष्टांग योग महज शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जिंदगी जीने का तरीका है। अष्टांग योग आपके जीवन की सभी समस्याओं को जड़ से खत्म करने का काम करता है। यह अपने मन, तन, आत्मा की शुद्धि करता है। जिसकी वजह से आप ना तो किसी तरह के तुलनात्मक नजरिए से खुद को देखते हैं और ना ही किसी से नफरत या घृणा करते हैं। अष्टांग योग के जरिये आपका संबंध केवल ईश्वर से ही रह जाता है। जिसकी वजह से आप डिप्रेशन, टेंशन या पीछे छूट जाने के डर में नहीं रहते। इससे आपका मस्तिष्क शांत रहता है और आपको मस्तिष्क से संबंधित रोग नहीं होते।

अष्टांग योग से जुड़ी सावधानियां – Precautions For Ashtanga Yoga in Hindi अष्टांग योग से जुड़ी सावधानियां - Precautions For Ashtanga Yoga in Hindi 

दोस्तों जैसे कि हमने आपको बताया कि यह एक मामूली योग नहीं है। बल्कि आध्यात्म की तरफ ले जाने वाला एक सीधा और कठिन रास्ता है। इसलिए इस कठिन रास्ते पर चलने से पहले आप कुछ चीजों का खास ध्यान रखें। तभी आपको अष्टांग योग के लाभ अधिक होंगे। 

अष्टांग योग के लिए सावधानियां

  • अष्टांग योग के अंदर बताए जाने वाले सभी आसनों को सुबह के समय खाली पेट ही करें। 
  • अष्टांग योग के हर अंग में निपुणता हासिल करने के बाद ही अगले अंग की ओर बढ़ें।
  • अष्टांग योग एक बेहद कठिन प्रक्रिया है, इस प्रक्रिया के दौरान बाहरी चीजों को से कम देखें और सुने। इससे आपका ध्यान केवल इस प्रक्रिया पर बना रहेगा। 
  • प्रक्रिया का पालन करते समय आत्मविश्वास को डगमगाने ना दें। इसके लिए कुछ आध्यात्मिक किताबों का सहारा जरूर लें। 

निष्कर्ष – Conclusion

दोस्तों हमने अपने इस लेख में आपको Ashtanga Yog in Hindi में सारी जानकारी दे दी है। अब अगर आप इस योग को करना चाहते हैं तो कर सकते हैं। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  1. अष्टांग योग किसने लिखा है ?

    अष्टांग योग महर्षि पतंजलि द्वारा सदियों पहले लिखा गया था।

  2. अष्टांग योग का अर्थ क्या है?

    अष्टांग शब्द दो शब्दों से बना है। इसका अर्थ है होता है आठ अंग। इस योग के कुल आठ अंग होते हैं। जिन्हें करने के बाद ही आप अष्टांग योग को पूरा कर पाते हैं।

  3. क्या अष्टांग योग के जरिए किसी बीमारी से राहत मिलती है?

    अष्टांग योग के जरिए आप डायबिटीज और मस्तिष्क से संबंधित कई समस्याओं से राहत पा सकते हैं।

  4. क्या अष्टांग योग के जरिए बीमारियों का उपचार संभव है?

    नहीं, योग के जरिए बीमारी को नियंत्रित करने में सहायता तो मिलती है। लेकिन यह बीमारियों का उपचार नहीं कर सकते।

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